रावण के दस सिर कैसे हो सकते हैं,जबकि शून्य की खोज आर्यभट्ट ने की..?? कुछ लोग हिन्दू धर्म व रामायण महाभारत गीता को काल्पनिक दिखाने के लिए यह प्रश्न करते है कि जब आर्यभट्ट ने लगभग 6 वी शताब्दी मे (शून्य/जीरो) की खोज की तो आर्यभट्ट की खोज से लगभग 5000 हजार वर्ष पहले रामायण मे रावण के 10 सिर की गिनती कैसे की गई और महाभारत मे कौरवो की 100 की संख्या की गिनीती कैसे की गई..जबकि उस समय लोग (जीरो) को जानते ही नही थे..तो लोगो ने गिनती को कैसे गिना...अब मै इस प्रश्न का उत्तर दे रही हुं...कृपया इसे पूरा ध्यान से पढे..आर्यभट्ट से पहले संसार 0(शुन्य) को नही जानता था..आर्यभट्ट ने ही (शुन्य / जीरो) की खोज की, यह एक सत्य है..लेकिन आर्यभट्ट ने 0( जीरो ) की खोज अंको मे की थी, शब्दों में खोज नहीं की थी, उससे पहले 0 (अंक को) शब्दो मे शुन्य कहा जाता था..उस समय मे भी हिन्दू धर्म ग्रंथो मे जैसे शिव पुराण,स्कन्द पुराण आदि मे आकाश को *शुन्य* कहा गया है..यहाँ पे शुन्य का मतलव अनंत से होता है...लेकिन रामायण व महाभारत काल मे गिनती अंको मे न होकर शब्दो मे होता था,और वह भी संस्कृत मे उस समय 1,2,3,4,5,6,7,8, 9,10 अंक के स्थान पे शब्दो का प्रयोग होता था वह भी संस्कृत के शव्दो का प्रयोग होता था...जैसे -
1 = प्रथम
2 = द्वितीय
3 = तृतीय
4 = चतुर्थ
5 = पंचम
6 = षष्टं
7 = सप्तम
8 = अष्टम
9 = नवंम
10 = दशम
दशम = दस
यानी दशम मे दस तो आ गया,लेकिन अंक का
0 (जीरो/शुन्य ) नही आया,रावण को दशानन कहा जाता है..दशानन मतलव दश+आनन =दश सिर वाला
अब देखो रावण के दस सिर की गिनती तो हो गई लेकिन अंको का 0 (जीरो) नही आया..इसी प्रकार महाभारत काल मे *संस्कृत* शब्द मे कौरवो की सौ की संख्या को शत-शतम बताया गया शत् एक संस्कृत का शब्द है,जिसका हिन्दी मे अर्थ सौ (100) होता है
सौ(100) "को संस्कृत मे शत् कहते है शत = सौ
इस प्रकार महाभारत काल मे कौरवो की संख्या गिनने मे सौ हो गई लेकिन इस गिनती मे भी अंक का 00(डबल जीरो) नही आया,और गिनती भी पूरी हो गई..महाभारत धर्मग्रंथ में कौरव की संख्या शत बताया गया है....रोमन मे भी 1-2-3-4-5-6-7-8-9-10 की जगह पे (¡)''(¡¡)"(¡¡¡)" पाँच को V कहा जाता है..दस को x कहा जाता है..रोमन मे x को दस कहा जाता है..X= दस..इस रोमन x मे अंक का (जीरो/0) नही आया..और हम" दश पढ भी लिएऔर गिनती पूरी हो गई इस प्रकार रोमन word मे कही 0 (जीरो) नही आता है..और आप भी रोमन मे एक से लेकर सौ की गिनती पढ लिख सकते है..आपको 0 या 00 लिखने की जरूरत भी नही पड़ती है..पहले के जमाने मे गिनती को शब्दो मेलिखा जाता था उस समय अंको का ज्ञान नही था..जैसे गीता,रामायण मे 1, 2, 3, 4, 5, 6, या बाकी पाठो (lesson ) को इस प्रकार पढा जाता है..जैसे (प्रथम अध्याय, द्वितीय अध्याय, पंचम अध्याय,दशम अध्याय... आदि )इनके दशम अध्याय मतलब दशवा पाठ (10 lesson) होता है..दशम अध्याय= दसवा पाठ..इसमे दश शब्द तो आ गया लेकिन इस दश मे अंको का 0 (जीरो)" का प्रयोग नही हुआ..बिना 0 आए पाठो (lesson) की गिनती दश हो गई...(हिन्दू Vi रोधी लोग सिर्फ अपने गलत kuतर्क द्वारा..हिन्दू धर्म व हिन्दू धर्मग्रंथो को काल्पनिक साबित करना चाहते है..जिससे हिन्दूओ के मन मे हिन्दू धर्म के प्रति नFरत भरकर और हिन्दू धर्म को काल्पनिक साबित करके,हिन्दू समाज को अन्य धर्मों में परिवर्तित किया जाए..लेकिन आज का हिन्दू समाज अपने धार्मिक शिक्षा को ग्रहण ना करने के कारण इन लोगो के झुठ को सही मान बैठता है
यह हमारे धर्म व संस्कृत के लिए हानि कारक है
अपनी सभ्यता पहचाने,गर्व करे की हम भारतीय है...
जय सनातन धर्म, जय श्रीराम, जय गोविंदा
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