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⚡ अक्षौहिणी सेना ⚡
आधुनिक काल में बड़े बड़े शक्तिशाली देशों के बीच आधुनिक अस्त्रों के साथ चल रहे छोटे छोटे द्वंद युद्धों में पूरी सेना सम्मलित की जाती हैं इसके बाद भी युद्ध में पूर्ण विजय नही घोषित हो पाती। वीर भूमि भारत में भी धर्म स्थापना के लिए वीरों के बीच कई युगों में महत्वपूर्ण युद्ध हुए। युग युगांतर का सबसे भीषण युद्ध महाभारत युद्ध भी इसी भारत भूमि पर हुआ, जिसमे कई बाहुबलि वीरों की सर्वशक्तिशाली सेनाएं सम्मालित हुई, पर प्रमुखता से अदम्य अद्भुत अलौकिक सर्वशक्तिशाली सेना वासुदेव कृष्ण की अक्षौहिणी सेना मानी जाती थी।
अक्षौहिणी प्राचीन भारत में सेना का एक माप हुआ करता था। महाभारत के युद्ध में कुल १८ अक्षौहिणी सेना लड़ी थी। जिसमें से कौरवों के पास ११ अक्षौहिणी सेना थी और पाण्डवों के पास ७ अक्षौहिणी सेना थी।
लेकिन वास्तव में एक अक्षौहिणी सेना कितनी होती है? इसके लिए, हम महाभारत के प्रमाणों से जानने की कोशिश करेंगे कि एक अक्षोहिणी सेना में कुल कितने पैदल, घुड़सवार, रथसवार और हाथीसवार होते है?
प्राचीन भारत में, एक अक्षौहिणी सेना के चार अंग होते थे। जिस सेना में ये चारों अंग होते थे, वह चतुरंगिणी सेना कहलाती थी। वह चार अंग निम्नलिखित होती थी -
१. सैनिक (पैदल सिपाही)
२. घोड़े (घुड़सवार)
३. गज (हाथी सवार)
४. रथ (रथ सवार)
अब यदि घोड़े की बात करे, तो एक घोड़े पर एक सवार बैठा था। ऐसे ही हाथी पर कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है, एक तो पीलवान (हाथी हौकने वाला) और दूसरा लड़ने वाला योद्धा। इसी प्रकार एक रथ में दो मनुष्य और काम से काम तीन चार घोड़े रहे होंगे। यह सब मिल कर एक चतुरंगिणी सेना कहलाती है।
महाभारत के आदिपर्व अध्याय २ के श्लोक १७ से २२ तक में अक्षौहिणी सेना के भाग पर विस्तार से बताया गया है। अतः उन श्लोकों के अनुसार एक अक्षौहिणी सेना नौ भागों में विभक्त है। उनका नाम कर्मशः इस प्रकार है - पत्ति, सेनामुख, गुल्म, गण, वाहिनी, पृतना, चमू, अनीकिनी और अक्षौहिणी।
सौतिरुवाच-
एको रथो गजश्चैको नराः पञ्च पदातयः।
त्रयश्च तुरगास्तज्ज्ञैः पत्तिरित्यभिधीयते॥१९॥
पत्तिं तु त्रिगुणामेतामाहुः सेनामुखं बुधाः।
त्रीणि सेनामुखान्येको गुल्म इत्यभिधीयते॥२०॥
त्रयो गुल्मा गणो नाम वाहिनी तु गणास्त्रयः।
स्मृतास्तिस्रस्तु वाहिन्यः पृतनेति विचक्षणैः॥२१॥
चमूस्तु पृतनास्तिस्रस्तिस्रश्चम्वस्त्वनीकिनी।
अनीकिनीं दशगुणां प्राहुरक्षौहिणीं बुधाः॥२२॥
- महाभारत आदिपर्व अध्याय २.१९-२२
अर्थात् : उग्रश्रवा जी ने कहा एक रथ, एक हाथी, पांच पैदल सैनिक और तीन घोड़े बस, इन्हीं को सेना के सर्मज्ञ विद्वानों ने 'पत्ति' कहा है। इसी पत्ति की तिगुनी संख्या को विद्वान पुरुष 'सेनामुख' कहते हैं। तीन 'सेनामुखों' को एक “गुल्म” कहा जाता है। तीन गुल्म का एक 'गण' होता है, तीन गण की एक 'वाहिनी' होती है और तीन वाहिनियों को सेना का रहस्य जानने वाले विद्वानों ने 'पृतना' कहा है। तीन पृतना की एक 'चमू” तीन चमू की एक 'अनीकिनी' और दस अनीकिनी की एक “अक्षौहिणी' होती है। यह विद्वानों का कथन हैं।
महाभारत में केवल गज, रथ और घोड़े की कुल संख्या बताई गयी है, उनको चलने वाले व उनपर सवार होकर लड़ने वालो की संख्या नहीं बताई है। अतः यदि अनुमान लगाया जाये, तो घोड़े पर एक घुड़सवार होगा, ऐसे ही हाथी पर कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है, एक तो पीलवान (हाथी हांकने वाला) और दूसरा लड़ने वाला योद्धा। इसी प्रकार एक रथ में दो मनुष्य रहे होंगे। अतः १ घुड़सवार, २ हाथी सवार और २ रथ सवार होंगे।
अतएव महाभारत में बताए गए गज (21870), रथ (21870) और घुड़सवार (65610) की संख्या को उन पर सवार व्यक्तियों से गुणा करे, तो गज पर 43740, रथ पर 43740 और चुड़सवार 65610 होंगे। जो कुल 153090 ( एक लाख तिरपन हजार नब्बे) होते है। और इन संख्या को पैदल सिपाहियों (109350) के साथ जोड़ से तो कुल 262440 ( दो लाख बासठ हजार चार सौ चालीस) मनुष्य एक अक्षौहिणी सेना में होते है।
पूर्ण अक्षौहिणी गणित -
१. पत्ति - १ गज + १ रथ + ३ घुड़सवार + ५ पैदल सिपाही
२. सेनामुख - ३ पत्ति = ३ गज + ३ रथ + ९ घुड़सवार + १५ पैदल सिपाही
३. गुल्म - ३ सेनामुख = ९ गज + ९ रथ + २७ घुड़सवार + ४५ पैदल सिपाही
४. गण - ३ गुल्म = २७ गज + २७ रथ + ८१ घुड़सवार + १३५ पैदल सिपाही
५. वाहिनी - ३ गण = ८१ गज + ८१ रथ + २४३ घुड़सवार + ४०५ पैदल सिपाही
६. पृतना - ३ वाहिनी = २४३ गज + २४३ रथ + ७२९ घुड़सवार + १२१५ पैदल सिपाही
७. चमू - ३ पृतना = ७२९ गज + ७२९ रथ + २१८७ घुड़सवार + ३६४५ पैदल सिपाही
८. अनीकिनी - ३ चमू = २१८७ गज + २१८७ रथ + ६५६१ घुड़सवार + १०९३५ पैदल सिपाही
९. अक्षौहिणी - १० अनीकिनी = २१८७० गज + २१८७० रथ + ६५६१० घुड़सवार + १०९३५० पैदल सिपाही
कौरव सेना -
11 अक्षौहिणी कुरु सेना का गठन हस्तिनापुर साम्राज्य द्वारा संशप्तक, त्रिगर्त, नारायण सेना, सिंधु सेना और मद्र के शल्य जैसी जातियों के साथ गठबंधन में किया गया था।
प्रमुख सेनापति- भीष्म (10 दिन), द्रोण (5 दिन), कर्ण (2 दिन), शल्य (1 दिन), अश्वत्थामा ( दुर्योधन के भीम से गदा युद्ध हारने के बाद )
कौरव सेना और दुर्योधन का पक्ष -
- भगदत्त , प्राग्जोतिषपुरा के राजा - 1 अक्षौहिणी
- मद्र के राजा शल्य - 1 अक्षौहिणी
- महिष्मति की नील - 1 अक्षौहिणी (दक्षिण से)
- कृतवर्मा ( कृष्ण की यादवों की नारायणी सेना) - 1 अक्षौहिणी
- जयद्रथ (सैंधव) - 1 अक्षौहिणी
- कंभोज के राजा सुदक्षिण - 1 अक्षौहिणी (उनके सैनिकों में यवन और शक थे)
- विंदा और अनुविंदा (अवंती से) - 1 अक्षौहिणी
- कलिंग सेना - 1 अक्षौहिणी
- गांधार का शकुनि - 1 अक्षौहिणी
- त्रिगत की सुशर्मा - 1 अक्षौहिणी
- कौरव और अन्य सहयोगी - 1 अक्षौहिणी
पांडव सेना-
7 अक्षौहिणी का एक गठबंधन है, मुख्य रूप से पांचाल और मत्स्य सेना, भीम के पुत्र की राक्षस सेना, और वृष्णि -यादव नायक।
पांडव सेना और उनके सहयोगी-
- वृष्णि वंश के सात्यकि - 1 अक्षौहिणी
- कुन्तिभोज - 1 अक्षौहिणी
- धृष्टकेतु, चेदिस के राजा - 1 अक्षौहिणी
- जरासंध के पुत्र सहदेव - 1 अक्षौहिणी (मगध से)
- द्रुपद अपने पुत्रों सहित - 1 अक्षौहिणी
- मत्स्य के राजा विराट - 1 अक्षौहिणी
- पांड्य, चोल और अन्य सहयोगी - 1 अक्षौहिणी
एक अक्षौहिणी बनाने वाली 4 प्रकार की इकाइयाँ शतरंज के पूर्ववर्ती चतुरंगा में भी देखी जा सकती हैं।
१ अक्षौहिणी में-
२१,८७० रथ
२१,८७० हाथी
१०९,३५० पैदल सैनिक
६५,६१० घोड़े
कुल मिला कर सेना संख्या २१८,७०० = १ अक्षौहिणी
पांडव सेना - १,५३०,९०० (७ अक्षौहिणी)
कौरव सेना - २,४०५,७०० (११ अक्षौहिणी)
कुल सेना - ३,९३६,६०० (१८ अक्षौहिणी)
वीरगति योद्धाओ कि संख्या - ३,९३६,५९०
युद्ध के पश्चात कुल जीवित योद्धाओं की संख्या - १०
पांडवो में से जीवित योद्धा (७)
श्रीकृष्ण
युधिष्ठिर
भीम
अर्जुन
नकुल
सहदेव
सात्यकी
कौरवो में से जीवित योद्धाओं की संख्या (३)
कृपाचार्य
कृतवर्मा
उपर्युक्त गज (हाथी), रथ, घुड़सवार तथा सिपाही की गणना महाभारत के आदिपर्व अध्याय २ श्लोक २३-२६ से लिया गया है।
श्लोक :
अक्षौहिण्याः प्रसङ्ख्यानं रथानां द्विजसत्तमाः।
सङ्ख्यागणिततत्त्वज्ञैः सहस्राण्येकविंशतिः॥२३॥
शतान्युपरि चैवाष्टौ तथा भूयश्च सप्ततिः।
गजानां तु परीमाणमेतदेवात्र निर्दिशेत्॥२४॥
ज्ञेयं शतसहस्रं तु सहस्राणि तथा नव।
नराणामपि पञ्चाशच्छतानि त्रीणि चानघाः॥२५॥
पञ्चषष्टिसहस्राणि तथाश्वानां शतानि च।
दशोत्तराणि षट्प्राहुर्यथावदिह सङ्ख्यया॥२६॥
- महाभारत आदिपर्व अध्याय २.२३-२६
अर्थात् :
(उम्रश्रवा जी ने कहा) श्रेष्ठ ब्राह्मणों! गणित के तत्त्वज्ञ विद्वानों ने एक अक्षौहिणी सेना में रथों की संख्या इक्कीस हजार आठ सौ सत्तर (21870) बतलायी है। हाथियों की संख्या भी इतनी ही रहनी चाहिये। निष्पाप ब्राह्मणों! एक अक्षौहिणी में पैदल मनुष्यों की संख्या एक लाख नौ हजार तीन सौ पचास (109350) जाननी चाहिये। एक अक्षौहिणी सेना में घोड़ों की ठीक ठीक संख्या पैंसठ हजार छः सौ दस (65610) कही गयी है।
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