Wednesday, 26 February 2025

शिव शंकर की तीसरी आँख का रहस्य ?

शिव की तीसरी आंख

महादेव को तीसरी आंख को लेकर कई कथाएं प्रचलित है उनमें से एक कथा के अनुसार जब कामदेव ने भोलेनाथ की तपस्या को भंग करने की कोशिश की थी तब शिव जी की तीसरी आंख उत्पन्न हुई थी और उसी से उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया था। एक अन्य कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने जब पीछे से आकर भोलेनाथ की दोनों आंखों को अपने हाथों से बंद कर दिया था तब समस्त संसार में अंधकार छा गया था। तब संसार को वापस प्रकाशमय करने के लिए शिव जी की तीसरी आंख खुद ही खुल गयी थी और फिर से चारों ओर रौशनी ही रौशनी हो गयी थी।

• कहते हैं शिव जी की एक आंख सूर्य है, तो दूसरी आंख चंद्रमा इसलिए जब पार्वती जी ने उनके नेत्रों को बंद किया तो चारों और अन्धकार फैल गया था।

दिव्य दृष्टि का प्रतीक कहते हैं शिव जी की वीसरी आंख उनका कोई अतिरिक्त ऐसा नहीं है, बल्कि ये उनकी दिव्य दृष्टि का प्रतीक है जो आत्मज्ञान के लिए बेहद जख्खी जैसे शिव जी को संसार का संहारक कहा जाता है जब जब संकट के बादल छाए तब तब भोलेनाथ ने पूरे संसार को विपदा से बचाया है। माना जाता है कि महादेव की ठीसरी आंख से कुछ भी बच नहीं सकता। उनकी यह आंख तब तक बंद रहती है जब तक उनका मन शांत होता है किन्तु जब उन्हें क्रोध आता है तो उनके इस नेत्र की अग्नि से कोई नहीं बच सकता।

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