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Monday, 11 August 2025
22 करोड़ साल पुराने गिरनार पर्वत का इतिहास और रहस्यमय जानकारी 🧵 #Thread चार युगों की कहानी जानिये
Thursday, 31 July 2025
जब देव नरायण सोते है तब क्या होता है?
Thursday, 1 May 2025
बद्रीनाथ मंदिर में आखिर क्यों नहीं बजाया जाता शंख?
🔹जानें इसके पीछे की रहस्यमयी कहानी🔹
हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ के पहले और आखिरी में शंखनाद किया जाता है। पूजा-पाठ के साथ हर मांगलिक कार्यों के दौरान भी शंख बजाया जाता है। शंख को सुख-समृद्धि और शुभता का कारक माना गया है।
कहते हैं कि शंख बजाए बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। वहीं चार धामों में से एक बद्रीनाथ में शंख बजाने की मनाही है।
बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार बद्रीनारायण की पूजा की जाती है। यहां उनकी 3.3 फीट ऊंची शालिग्राम की बनी मूर्ति है।
माना जाता है कि इस मूर्ति की स्थापना शिव के अवतार माने जाने वाले आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में की थी।
माना जाता है कि भगवान विष्णु की यह मूर्ति यहां स्वयं स्थापित हुई थी, कहते हैं इसी स्थान पर भगवान विष्णु ने तपस्या की थी।
बद्रीनाथ में शंख न बजाने के पीछे कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार जब हिमालय में दानवों का बड़ा आतंक था तब ऋषि मुनि न मंदिरों में ना ही किसी और स्थान पर भगवान की पूजा अर्चना कर पाते थे।
राक्षसों के आतंक को देखकर ऋषि अगस्त्य ने मां भगवती को मदद के लिए पुकारा, जिसके बाद मां कुष्मांडा देवी के रूप में प्रकट हुईं और अपने त्रिशूल और कटार से राक्षसों को खत्म कर दिया।
हालांकि मां कुष्मांडा के प्रकोप से बचने के लिए दो राक्षस आतापी और वातापी वहां से भाग निकले। इसमें से आतापी मंदाकिनी नदी में छुप गया और वातापी बद्रीनाथ धाम में जाकर शंख के अंदर घुसकर छुप गया। जिसके बाद से यहां शंख नहीं बजाया जाता।
बद्रीनाथ में शंख न बजाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। जिसके अनुसार अगर यहां शंख बजाया जाए तो उसकी आवाज बर्फ से टकराकर ध्वनि पैदा कर करेगी जिससे बर्फ में दरार पड़ सकती है और हिमस्खलन का खतरा भी बढ़ सकते है। इसलिए यहां शंख नहीं बजाया जाता।
जय बद्री विशाल 🙏🚩
Tuesday, 29 April 2025
क्या ब्रह्माजी के पैरों से शूद्रों का जन्म हुआ! सच क्या है?
Wednesday, 26 March 2025
भगवान श्री हरि विष्णु जी के दिव्य अवतार
भगवान विष्णु जी सृष्टि के पालनहार
1️⃣ परिचय – हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को त्रिदेवों में से एक माना जाता है, जो सृष्टि के पालनहार हैं। वे संसार की रक्षा और धर्म की स्थापना के लिए समय-समय पर अवतार लेते हैं।
2️⃣ श्रीहरि विष्णु का स्वरूप – उनका वर्ण नीलवर्ण है, वे चार भुजाओं वाले हैं। उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म होते हैं। उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी हैं और वाहन गरुड़।
3️⃣ दशावतार – जब भी अधर्म बढ़ता है, तब भगवान विष्णु अवतार धारण करते हैं। उनके दस प्रमुख अवतार हैं:
मत्स्य
कूर्म
वराह
नृसिंह
वामन
परशुराम
राम
कृष्ण
बुद्ध
कल्कि (आने वाला अवतार)
4️⃣ श्रीहरि का महत्व – वे न केवल सृष्टि के पालनकर्ता हैं, बल्कि भक्ति, प्रेम, और करुणा के प्रतीक भी हैं। विष्णु सहस्रनाम में उनके 1000 नामों का वर्णन मिलता है।
5️⃣ विष्णु पूजन एवं मंत्र –
“ॐ नमो नारायणाय”
“ॐ विष्णवे नमः”
“ॐ श्रीं विष्णवे नमः”
6️⃣ वैष्णव संप्रदाय – जो भक्त विष्णु की आराधना करते हैं, उन्हें वैष्णव कहा जाता है। भारत में कई प्रमुख वैष्णव संप्रदाय हैं, जैसे कि श्रीसम्प्रदाय (रामानुजाचार्य), मध्व सम्प्रदाय, गौड़ीय वैष्णव (चैतन्य महाप्रभु)।
7️⃣ विष्णु जी के प्रमुख मंदिर –
तिरुपति बालाजी (आंध्र प्रदेश)
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर (तमिलनाडु)
बद्रीनाथ धाम (उत्तराखंड)
जगन्नाथ पुरी (ओडिशा)
8️⃣ गीता में विष्णु तत्व – श्रीकृष्ण (विष्णु के अवतार) ने अर्जुन को गीता में विराट स्वरूप दिखाया था, जिसमें पूरी सृष्टि समाहित थी।
भगवान विष्णु की भक्ति से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
🙏 जय श्री हरि विष्णु जी 🙏
Wednesday, 26 February 2025
शिव शंकर की तीसरी आँख का रहस्य ?
Tuesday, 14 January 2025
🌞 मकर संक्रांति: पुराणों में वर्णित एक दिव्य यात्रा और उसका गहन महत्व
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