Tuesday, 27 June 2023

शिवलिंग के साथ सदैव नंदी एवं कछुआ क्यों होता है ?

एक कछुए का शिव के मंदिरों में प्रेरित करने के लिए एक प्रतीकात्मक महत्व है और वो है उनकी साधना। एक कछुआ अपने सभी अंगों और सिर को वापस लेने की क्षमता रखता है पूरी तरह से यह खोल के भीतर है।
यह प्रतीकात्मक रूप से एक आध्यात्मिक प्रेरणा देता है। भौतिक जगत से अपनी सभी इंद्रियों को वापस लेने की आकांक्षा।  जब एक कछुआ अंडे देता है तो उनके शीर्ष पर नहीं बैठती है बल्कि उन्हें केंद्रित करती है। लगातार उनकी ओर ध्यान देकर अपनी आंखों से ऊर्जा निकालकर अंडे सेती है।
यह आध्यात्मिक आकांक्षी को अपने सभी ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करता है ध्यान से भगवान शिव की ओर ध्यान दें।
मंदिर में एक कछुए के प्रतीकात्मक उपयोग द्वारा शिवलिंग या चित्र पर ध्यान केंद्रित करने वाले 'दर्शन' का भी महत्व है।
इसके अलावा शिव मंदिरों में एक बैल को भी देखा जाता है यह शिव का वाहन 'नंदी' है। शिवलिंग के सामने बैठे नंदी का संकेत है कि मनुष्य को मोह माया से दूर हो जाना चाहिए और अपना सारा ध्यान केवल भगवान की ओर लगाना चाहिए।
बैल चार पैरों पर बैठे स्थिरता का प्रतीक है, जो सत्य (सत्य) (धर्म) (शांति) (प्रेम) का प्रतिनिधित्व करता है।

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